Monday 11 November 2019

बाला : अपने आप को स्वीकार करो,अपने आप से प्यार करो......


       जब आप बाला से मिलते हो ,तो एक ही सन्देश कि अपने आप से प्यार करो ;आप
तक पहुँचता है।बाला को यह समझने में पूरे १२० मिनट्स लगे। लेकिन अंतिम रूप
से उसके  बचपन की दोस्त , उसकी वकील ,सांवली सलोनी सी लतिका ने उसे यह
 समझा ही दिया कि जैसे भी हो ,वैसे ही अपने आपको स्वीकार करो ;जब तुम खुद
 को स्वीकार लोगे तो दूसरे लोग भी तुम्हे स्वीकार करेंगे।

     बाला की स्वयं की पत्नी परी भी तलाक के मुक़दमे के दौरान जब यह कहती है ,"मैंने बाला के बाथरूम में एक आधा ढका हुआ आइना देखा है ,जब बाला स्वयं अपने
 आपको देखना नहीं चाहता ,तो मैं कैसे उसे सारी उम्र देख सकती हूँ ?is it fair ?"

        गोरा बनाने का दावा करने वाली क्रीम "Pretty you " के विपणन में लगे हुए बाला न,जो कि स्वयं गंजेपन का शिकार है ,सन्देश दिया कि बदलाव क्यों ?हम जैसे भी हैं,वैसे ही रहें ,दुनियावी सुंदरता के मानकों पर खरा उतरने की लिए प्रकृति प्रदत्त
सौंदर्य से शिकायत क्यूँ ??

         स्त्री फेम निर्देशक अमर कौशिक की नयी फिल्म 'बाला ' आपको सन्देश देने के साथ साथ आईना भी दिखती है। समाज ने अपने ही सुंदरता की मानक गढ़ रखे हैं,अगर आप उन पर खरे नहीं उतरते हो तो यही ईश्वर पर विश्वास करने वाला समाज ईश्वर रचित इंसानों का मजाक बनाता है।

आयुष्मान खुराना 'बाला ' अर्थात बाल मुकुंद शुक्ला के किरदार में आपको कहीं भी
 निराश नहीं करते।बाला अपने गंजेपन से निजात पाने के लिए सारे प्रयास करता है।
अपने गंजेपन को सबसे छुपाकर रखता है। अपनी होने वाली बीवी को,जो कि
"tiktok " सेलिब्रिटी है,जब अपने गंजेपन के बारे में बताना चाहता है ,तब उसके
दोस्त यह कहकर मना करते हैं कि ,"हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है,जहाँ
 पुरुष के नुस्ख से कोई फर्क नहीं पड़ता। पत्नी को अपने पति के बारे में बहुत सारी
बातें शादी के बाद ही पता चलती है ,तब वह चाहकर भी अपने पति को छोड़ नहीं सकती। "

 फिल्म लगातार व्यंग्य और हलके फुल्के अंदाज में समाज की बुराइयों को रेखाँकित
 करती है। फिल्म के सभी प्रमुख किरदार सौन्दर्यों के मानकों के कारण या तो
 पीड़ित है या लाभान्वित है। परी अपनी सुंदरता के कारण हमेशा से ही लोगों का
ध्यान आकर्षित करती रही है ,इसलिए उसके लिए दिखावा ही सबकुछ है।
 सोशल मीडिया apps और websites के जरिये मिलने वाले likes और
comments ही उसका जीवन है। वह अपनी सुहाग रात का भी वीडियो tiktok पर
 डालना चाहती है। ऐसा वह स्वीकार भी करती है ,इसलिए वह बाला के गंजेपन के
 कारण उससे तलाक लेती है।

           बाला की बचपन की दोस्त लतिका जो कि सांवली है ,बचपन से ही अपने रंग रूप को लेकर दूसरों के ताने सुनती रही है। गोरा बनाने की क्रीम बेचने वाली कम्पनीज के विरुद्ध  PIL डालने की बात कहती है। ये कम्पनीज हर सांवली लड़की को एक काम्प्लेक्स एवं शर्मिंदगी का एहसास दिलाती हैं। लेकिन ये कम्पनीज तो समाज की सोच का आइना है। बाला अपने marketing सेमिनार में कहता भी है ,"धर्म ,जाति,शिक्षा आदि से कोई मतलब नहीं,केवल रंग महत्वपूर्ण है। हम समाज की सोच तो नहीं बदल सकते ,लेकिन अपना रंग बदल सकते हैं। "

   लतिका बचपन में किये गए कृष्ण एवं कुब्जा के नाटक का उद्धरण देते हुए कहती है कि ," भगवान कृष्ण को कुब्जा के रूप को परिवर्तित करने की क्या आवश्यकता थी
,वह जैसी थी वैसा ही उसे पसंद करने वाला कोई तो मिल ही जाता। भगवान ने स्वयं
 ने ही जब एक गलत predecessor सेट कर दिया ,तो इंसान क्या करे ?"

                लतिका अदालत में बाला के गंजेपन को छुपाने की वजह बाला की झिझक और हिचकिचाहट को बताती है। क्यूंकि हमारा समाज गंजे लड़कों को handsome नहीं मानता। बाला ही नहीं समाज में बहुत से लोग अपने शरीर के रूप,रंग,आकार के कारण शर्मिंदगी महसूस करते हैं क्यूंकि उन्हें समाज लगातार उन्हें उनकी भिन्नता का एहसास करवाता है।

    इसी कारण लतिका कहती है कि," काली शब्द के प्रति कान इतने sensitive हैं कि
500 m की दूरी पर से भी सुन लेते हैं। " रंग के कारण लतिका की मासी एक
आर्थिक आत्मनिर्भर,समझदार लड़की के लिए सही मैच नहीं ढून्ढ पा रही है।
"pretty you " अपने विज्ञापन में इस बात को प्रमुखता से दिखाते हैं ,कि रंग के
 कारण माता -पिता को विवाह में भी दिक्कतें आती हैं। मासी को भी उनके पति ने
उनके चेहरे पर आये बालों की वजह से छोड़ दिया था।

       भूमि पेडनेकर अपनी बाकि फिल्मों की तरह लतिका के किरदार में अपनी छाप
छोड़ती हैं। मासी के किरदार के साथ सीमा पाहवा पूरा न्याय करती हैं। सौरभ
शुक्ला बाला के पिता की भूमिका में है। जावेद जाफ़री आदि सभी व्यक्तियों ने अपने
अपने किरदारों को असरदार ढंग से निभाया है। फिल्म में कानपूर और लखनऊ की
खूबसूरती को दिखाया गया है।

      फिल्म मुख्यतया बालों की सुंदरता में भूमिका पर आधारित है ,लेकिन अंत में
सुंदरता के सभी मानकों को छोड़कर स्वयं को जैसे भी हैं,वैसे ही सुन्दर मानने का
सन्देश देती है। बाला अंत में कृष्ण और कुब्जा की कहानी के पीछे छुपे दर्शन को
समझाते हुए कहते हैं कि कृष्ण ने कुब्जा का रूप परिवर्तित कर सुन्दर नहीं बनाया
था ,बल्कि उसे उसकी सुंदरता का एहसास भर करवाया था। वैसे भी सुंदरता देखने
वाले पर निर्भर करती है। अतः सुंदरता का कोई सार्वभौमिक मानक हो ही नहीं
सकता और होना भी नहीं चाहिये।


इतने अच्छे एवं हर भारतीय से जुड़े विषय पर फिल्म बनाने के लिए पूरी बाला फिल्म
 की टीम साधुवाद की पात्र है। हम जैसे भी हैं ,अपने आप को वैसे ही स्वीकार करें।
 अपने आप से प्यार करें। love yourself ....


# Bala  # Dark Is Beautiful # Love Yourself  # Accept Yourself  #NoBodyShamingAnyMore









No comments:

Post a Comment