नकारात्मक ब्याज दर नीति
अवस्फीति के दौरान आमजन तथा व्यापारी धन एकत्रित करते हैं ,खर्च और निवेश करने के स्थान पर.मांग लगातार कम होती जाती है.जिससे कीमतें और कम होती जाती हैं.अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जाती है,उत्पादन कम होने लगता है ,बेरोजगारी बढती है.इस तरह की मंदी की परिस्थितियों से जुझने के लिए सामान्यतया एक विस्तारित मौद्रिक नीति अपनाई जाती है.यदि अवस्फीति करक बहुत मजबूत हैं ,तो केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर शून्य कर दिए जाने पर भी अर्थव्यवस्था में उधर लेने तथा देने की गतिविधियों में वांछित वृद्धि नहीं होती है.
नकारात्मक ब्याज दर उस मुद्रा विशेष की मांग में भी कमी लाती है,जिससे मुद्रा का अवमूल्यन होने लगता है.अतः नकारात्मक ब्याज दर किसी मजबूत हो रही मुद्रा से सम्बंधित परिस्थितयों से जूझने का भी साधन है.
Fiscal
consolidation
सरकार के घाटों तथा बढते ऋणों को कम करना
राजकोषीय सुद्रढ़(Fiscal consolidation) नीति का लक्ष्य है. राजकोषीय घाटे से
सम्बंधित समस्याओं के समाधान तथा भारी राजकोषीय घाटे को रोकने के लिए इस नीति के
अंतर्गत विभिन्न कदम उठाये जाते हैं.जिनमें से कुछ हैं :
1.सब्सिडी को कम किया जाए
2.सब्सिडी में lekage को कम किया जाये
3.कर संरचना में सुधार (यथा वस्तु और
सेवा कर का क्रियान्वयन )
4. PSUs के निष्पादन में सुधार
5. काले धन की प्राप्ति
6.नीतियों में सुधार
7.व्यर्थ के खर्चों पर नियंत्रण
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