Monday 10 August 2020

भारत अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों में बदलाव (Source The Hindu)

 

प्रश्न :वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भारत को अमेरिका के साथ अपने संबंधों में बदलाव लाने होंगे ताकि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की पूर्ति कर सके। इस कथन पर चर्चा कीजिये। ( Source:The Hindu )


उत्तर भारत को अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंध इस विश्वास के आधार पर बनाने होंगे कि अमेरिका जितना भारत को देगा ,भारत भी उतना ही अमेरिका को देगा और भारत को हर मामले में अमेरिका की सलाह नहीं चाहिए।


भारत अमेरिका के साथ अपने संबंधों को निम्न बिंदुओं पर पुनः पारिभाषित कर सकता है


1 .दोनों ही पक्षों को यह समझ लेना चाहिये कि आपसी संबंध एक हाथ से लो और दूसरे हाथ से दो पर आधारित हों।


2 . लद्दाख में चीन के विरुध्द भारत को अमेरिका के अति उन्नत सैनिक उपकरणों की जरूरत है। भारत अमेरिका से यह नहीं चाहता कि अमेरिका भारत की तरफ से चीन से लद्दाख में युद्ध करे ,लेकिन उपकरणों के स्तर पर अमेरिका की सहायता मांगी जा सकती है। अमेरिका पूर्व में भारत के विरुद्ध पाकिस्तान को सहायता दे चुका है।


3. भारत अफगानिस्तान में अमेरिका की सहायता के लिए अपनी सैनिक टुकड़ी भेज सकता है। इससे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद कमजोर होगा ;साथ ही चीन से युद्ध की स्थिति में भारत अमेरिका से अपनी शर्तों पर बातचीत कर सकेगा।


4 . भारत को अमेरिका और उसके सहयोगी इस्रायल की चीन से होने वाले संभावित साइबर युद्ध के लिए सहयोग की जरूरत है। भारत को चीन और पाकिस्तान की सेटेलाइट मैपिंग ,आतंकवादियों पर ख़ुफ़िया सूचना ,इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के जरिये होने वाले संवादों को पकड़ना ,पाकिस्तान की सेना और आईएसआई पर नियंत्रण के लिए दोनों देशों से सहयोग लेना होगा।


5. अण्डमान -निकोबार और लक्षद्वीप को वायु सेना बेस और जल सेना बेस के रूप में विकसित करने के लिए अमेरिका से सहयोग लेना होगा ताकि भारत हिन्द महासागर में अपनी स्थिति मजबूत बनाये रख सके।


6 . भारत को दो क्षेत्रों को एक हाथ से लेना और दूसरे हाथ से देना से अलग रखना होगा और इस संबंध में दृढ़ होना होगा। एक, आर्थिक संबंध व्यापक आर्थिक सिद्धांतों पर आधारित होने चाहिए।दूसरा , अमेरिकी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) का मुक्त, अंधाधुंध प्रवाह भारत के राष्ट्रीय हित में नहीं है।भारत को अमेरिका से थोरियम के उपयोग ,खारे मीठा करने जैसी तकनीकी की आवश्यकता है ;लेकिन भारत वालमार्ट आदि को भारत में मुक्त रूप से अपने देश के लोगों की रोज़गार जरूरतों को देखते हुए निवेश की अनुमति नहीं दे सकता।


7. अमेरिका भारत के कृषि उत्पादों के आयात की अनुमति दे।


8 . तुलनात्मक लाभ के सिद्धांतों के अनुसार ही अमेरिका से भारत के चुनिंदा क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति होनी चाहिए।


9 . दोनों ही देश धीरे-धीरे अपने तर्रीफ़ शुल्कों में कमी लाये।


10 .अमेरिका को डॉलर के मूल्य में कमी लानी होगी ताकि धीरे- धीरे एक डॉलर की कीमत 35 /- तक हो जाए। जैसे -जैसे अर्थव्यवस्था का विस्तार हो डॉलर १० रूपये से भी कम का हो जाना चाहिए।


11 .भारत को तिब्बत में प्रवेश के लिए कभी भी अपनी सेनाएं अमेरिका को नहीं देनी चाहिए। हांगकांग और ताइवान मुद्दों पर भी भारत को कभी भी अमेरिका का अनुसरण नहीं करना चाहिए।


तिब्बत के मामले में भारत 1954 और 2003 में पहले से ही दो संधियाँ चीन के साथ कर चुका है।



भारत, अमेरिका और चीन को विश्व में शांति के लिए एक त्रिपक्षीय प्रतिबद्धता बनानी चाहिए, बशर्ते चीन अपनी वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में स्वस्थ बदलाव लाये।

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