बाहें फैलाये तरु राहें ताकते रह जाते हैं ,
नन्हे हाथों के इंतज़ार में फल सीधे ही बाज़ारों में पहुंच जाते हैं ,
फलों के लिए तरु तक आने वाला बचपन पीछे छूट गया।
नन्हे हाथों के इंतज़ार में फल सीधे ही बाज़ारों में पहुंच जाते हैं ,
फलों के लिए तरु तक आने वाला बचपन पीछे छूट गया।
बाग़ बगीचे गलियाँ सूनी आँखों से देखते रह जाते हैं ,
गिल्ली, डंडा ,पिठू कहीं कोने में आंसू बहाते रह जाते हैं ,
उनसे हंसी ठिठोली करने वाला बचपन पीछे छूट गया।
गिल्ली, डंडा ,पिठू कहीं कोने में आंसू बहाते रह जाते हैं ,
उनसे हंसी ठिठोली करने वाला बचपन पीछे छूट गया।
अचार, पापड़ बंद डिब्बों से झांकते रह जाते हैं ,
लडडू,जलेबी उत्सव की शोभा बन मुँह ताकते रह जाते हैं ,
उन्हें चटखारे ले लेकर खाने वाला बचपन पीछे छूट गया।
लडडू,जलेबी उत्सव की शोभा बन मुँह ताकते रह जाते हैं ,
उन्हें चटखारे ले लेकर खाने वाला बचपन पीछे छूट गया।
दादी की कहानियां संदूकों में बंद फुसफुसाती रह जाती हैं ,
नानी का घर हर दिन नयी राहें बनाता रह जाता है,
आपाधापी के दौर में रिश्तों की मिठास को चखने वाला बचपन पीछे छूट गया।
नानी का घर हर दिन नयी राहें बनाता रह जाता है,
आपाधापी के दौर में रिश्तों की मिठास को चखने वाला बचपन पीछे छूट गया।
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