Friday 24 July 2020

आज का दूसरा प्रश्न 24th July 2020

प्रश्न :शहरों को आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में देखा जाता रहा है,लेकिन हाल ही के कोरोना संकट के दौरान शहरों को मुसीबत और बीमारी के केंद्र के रूप में देखा गया है। इस कथन के प्रकाश में भारतीय शहरों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।

उत्तर : सघन बसावट और आवश्यक आधारभूत सुविधाओं यथा स्वच्छता ,स्वास्थ्य ,साफ़ पीने योग्य पानी आदि से वंचित शहरी क्षेत्रों की कमियां कोरोना संकट समक्ष उजागर हो गयी।

शहरों के समक्ष चुनौतियां

१. कच्ची बस्तियों की अनियोजित बसावट

आधारभूत सुविधाओं के अभाव के कारण यहाँ पर रहने वाले लोगों द्वारा स्वच्छता और सोशल डिस्टन्सिंग अपनाना अत्यंत कठिन रहता है और उसके कारण महामारी विकराल रूप ले लेती है। स्वच्छता मिशन का भी मुख्य फोकस ग्रामीण भारत पर ही रहा है। ग्रामीण भारत  के लिए शहरी क्षेत्र से सात गुना अधिक बजट इस मिशन के लिए आवंटित किया गया।

२. चरमराती हुई स्वास्थ्य सेवाएं

भारत की लगभग तीस प्रतिशत जनसंख्या शहरों में  रहती है ,लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत शहरी घटक को कुल बजट का मात्र---------आवंटित किया गया। इस संकट  दौरान शहरों की स्वास्थ्य  सेवाएं  भारी दबाव में आ गयी हैं।

3. टियर 1 शहरों पर फोकस

सविभिन्न योजनाओं के अंतर्गत शहरों में विकास संबंधी परियोजनाओं के लिए बजट आवंटित किया जाता रहा है ,लेकिन इन योजनाओं का ज्यादातर लाभ पहले से ही विकसित शहरों को प्राप्त हुआ है। 20000 -1 लाख तक की जनसंख्या वाले शहर सरकारी योजनाओं के राडार पर नहीं आ सके हैं। ग्रामीण और शहरी भारत की कड़ी ,इन शहरों को उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है।

4. गरीबी

ग्रामीण गरीबों के लिए महानरेगा जैसी योजनाएं हैं ,लेकिन शहरी गरीबों के लिए इस तरीके की कोई योजना  नहीं है। कोरोना संकट के समय शहरी गरीबों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए ऐसी योजना और अधिक प्रासंगिक हो गयी हैं। बड़े शहरों से छोटे शहरों में पलायन कर गए लोगों को गरीबी के दुष्चक्र से निकालने के लिए योजना अपेक्षित है।

ग्रामीण-शहरी द्विभाजन की अत्यधिक सरल धारणाओं ने नीति निर्माण को प्रभावित किया है और सार्वजनिक संसाधनों के आवंटन में भारी असमानताएं पैदा की हैं।शहरी गरीबी और सघन बसावट जैसी चुनौतियों को और अधिक निधि  तथा और अधिक सरकारी समर्थन की आवश्यकता है। शहरी क्षेत्र की उपेक्षा  गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय चुनौतियों को जन्म दे सकती है।

 प्रकृति से  शहरी ,लेकिन चरित्र से ग्रामीण छोटे शहर ; वर्तमान नीति वातावरण में सबसे ज्यादा उपेक्षित हैं। वे खराब सेवाओं और नीतिगत रूप से उपेक्षा के साथ अस्तित्वमान हैं ,जबकि उन्हें एक बड़ी जनसँख्या की आवश्यकताओं को पूरा करना होता है । वर्तमान संकट ने उनकी स्थिति को प्रकाश में ला दिया है। नीति -निर्माण के फोकस में थोड़ा सा बदलाव आश्चर्यजनक परिवर्तन ला सकता है। 

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