Saturday 25 July 2020

कोरोना महामारी और महिलाएं (Source The Hindu and Indian express )


प्रश्न : कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न संकट का महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा कीजिये।

उत्तर :अनामता और परदे के पीछे रहने के कारण महिलाओं को हमेशा से ही समाज की उदासीनता का शिकार होना पड़ता है। समाज की सामूहिक चेतना में वह हाशिये पर ही रहती हैं। कोरोना संकट से उबरने के लिए किये जा रहे आर्थिक पुनर्जीवन के प्रयासों में महिलाएं और उनकी समस्याएं कहीं भी नहीं हैं।

महिलाओं पर संकट के प्रभाव

. कार्यबल में महिलाओं की कमी

कोरोना संकट के कारण महिलाएं अपने सहयोगी हाथों को खो रही हैं। इससे घर के कामकाज के बढ़ते बोझ के कारण महिलाओं को अपने बारे में सोचने के लिए वक़्त नहीं मिल रहा है और निकट भविष्य में भी महिलाओं के काम पर लौटने की उम्मीद भी कम है। महिलाएं न चाहते हुए भी अपने दमनकारी घरों में कैद होकर रह गयी हैं।


2 . महिलाओं के विरुद्ध घेरलू हिंसा में वृद्धि

Indian Journal of Community Medicine, 2019 के एक अध्ययन के अनुसार लॉक डाउन के दौरान तीन कारणों से महिलाओं के विरुद्ध घरों में होने वाली हिंसा में वृद्धि हुई है। पहला ,पुरुषों द्वारा अत्यधिक अल्कोहल का सेवन ;दूसरा ,पारिवारिक सदस्यों नियंत्रित करने की आदत ;तीसरा ,संसाधनों की सीमित उपलब्धता के कारण उत्पन्न कुंठा। पुरुषों के लिए रोज़गार संबंधी अवसरों की कमी हुई है और घर में बंद हो जाने के कारण कुंठित पुरुष अपनी कुंठा अपने महिला साथी पर निकालते हैं। अतः महिलाओं की स्थिति और भी दयनीय हो गयी है।

. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

घर के अधिकाँश सदस्यों के घर पर रहने के कारण महिलाओं द्वारा किये जाने वाले अवैतनिक कार्य तथा महिलाओं पर कार्य का बोझ बढ़ गया है। पहले से ही अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह महिलाएं और अधिक अस्वास्थ्यकर जीवन शैली अपनाने को विवश हुई हैं।
आशा ,सहयोगिनी आदि कम्युनिटी वर्कर्स जो महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी सुझाव देने के लिए उपस्थित रहती थी ,वे महामारी के दौरान सर्वे आदि कई दूसरे कार्यों में व्यस्त हो गयी हैं। सेनेटरी पैड्स ,गर्भनिरोधक आदि पहले जितने सहज उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। महिलाओं में अनचाही गर्भावस्था ,मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर बढ़ने की संभावनाएं अत्यंत प्रबल हैं।

पिछले अनुभव यह बता चुके हैं कि समाज अपने एक बड़े हिस्से की उपस्थिति के प्रति उदासीन रहता आया है ;अतः महिलाओं को स्वयं अपने लिए आवाज़ उठाने होगी। अपने प्रयासों से इस महामारी के दौरान अपनी भलाई के लिए खुद संसाधन जुटाने होंगे। उन्हें अनामता और हाशिये से उबरकर दृश्यमान होना होगा।

1 comment:

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